Sita Prasad©   (Sita prasad©)
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Joined 21 October 2017


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Joined 21 October 2017
6 SEP AT 22:45

असीमित, अनियमित
तूफान के रफ्तार की तरह,
रात से बात चल रही है,
दो दुश्मनों के झगड़े की तरह।

शोर है मचा हुआ,
रास्ते कभी सोते नहीं,
कभी चीख, बंधे जन्तू की,
हारन कभी रुकते नहीं।

हर त्योहार,ब्याह पर पटाखे,
लाउडस्पीकर भी होड़ में शामिल,
छुप गई उस रेलगाड़ी की सीटी,
पंछियों की चीं-चीं भी ओझल।

बात करना‌ चाहूॅं मैं,
शान्त कब होगे तुम,
कब तसल्ली से सुनोगे,
और कब सोओगे तुम।।

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4 SEP AT 23:50

As every child is special,
Every teacher is unique,
Respect and best wishes to the teachers who dedicate their time and efforts for the betterment of others.

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2 SEP AT 13:52

When you realise you deserve better,
You start working towards it,
Otherwise you accept the plight,
Live as a bonded labourer,
Waiting for someone to rescue you.

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2 SEP AT 9:14

Truth lies there,
Deep inside,
So subtle,
Egoless consciousness,
Only reaches it!

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2 SEP AT 8:58

Believing in creation,
Crafting skills,
Perseverance is magical,
Forgiveness is
a part of benevolence,
Giving synonym
To living!
Taking what is needed,
Excess shall make one obese!

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24 AUG AT 11:16

दूसरे कहाॅं कहा मान लेंगे पल में,
मन साफ़ रख, समझ लेंगे वक्त आने पर।

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21 AUG AT 22:54

पथरीली सी डगर,
नम आंखों में छिपे हुए
सपने कुछ सहमे से,
बदलते मौसम की रफ्तार,
सिर्फ खिले हुए फूल
भी न लाएं वह बहार,
विडंबना भी है,
जुनून हार ना मानने का।
भंग है मन‌ की शान्ति,
कैसे कह दूं ऐ ज़िन्दगी,
सब कुछ ठीक है!

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17 AUG AT 21:30

Enjoying my Sunday with monsoons

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17 AUG AT 16:38

कुछ अनकहे से, अनछुए से,
कोरे पन्ने बड़े ही सुन्न से,
न आने देते किसी को पास,
दोस्ती अभी हुई नहीं,
स्याही से,
दिल के कोने में,
कुछ प्यार के किस्से,
भरे नहीं दूधिया बादल हल्के से,
वक्त- वक्त की बात है दोस्त,
शायद इंतज़ार है उन्हें भी,
जब मौसम आएगा,
आप ही सब हो जाएगा,
कोरा हो या भरा,
हर पन्ना कहानी एक कह जाएगा।।

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16 AUG AT 8:05

जय श्री कृष्णा

कृष्ण, कान्हा
बहुसुन्दर,
अति सुरमय,
अगाध प्रेमी,
अति प्रिय मित्र,
पालनहार, श्रेयोभिलाश सर्वप्रथम,
जगत संचालक व रक्षक,
बस नाम स्मरण मात्र से,
शान्त मन‌ हो जाए,
उनके होने से,
हर पल सजकर,
जीवंत हो जाए।
हरे कृष्ण।।

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