कैसा लगा मुझे उस पल मैं ।
की थी नही मेरी मर्ज़ी फिर भी ,
करनी पड़ी मुझे वही बात।
नज़रें भारी थी शर्म से ,
पर दिल में था तेरे लिए प्यार।
क्यों आज ऐसा लगा ,
की तू मांग रहा था प्यार के बदले प्यार ।
दिल भी तेरा ज़िस्म भी तेरा,
फिर क्यों लेता इम्तिहां मेरा ।
में हूँ मैं मुझे मुझ जैसी रहने दे,
तेरे प्यार मैं निखरुं पर मुझे बदलने न दे ।
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