अकेले ही अब देखते है ये सफर हमें कहा ले जाता है,
क्या पता मंज़िल की तलाश में एक नया कारवां ही हमसे जुड़ जाता है,-
घर से निकल गए हैं।
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वो रिश्तों की डोर
जिन्हें पकड़ कर कभी हमने चलना सीखा था,
जिन्हें अपना समझ कर सारे गम बाँटें थे,
जिनके आसरे में कभी खेला करते थे,
जिन्हें बचपन से पूजा करते थे,
पर क्यूँ??
क्योंकि एक समय था
जब घर तो कच्चे हुआ करते थे
पर लोग सच्चे हुआ करते थे,
लेकिन अब सब दुनिया की दौड़ में
रिश्तों से नाता ही तोड़ रहे है-
"आदत" ऎसी लगी उनकी कि 'वक़्त" भी अब बेगाना सा लगने लगा है,
" चेहरे" तो तमाम है इस दुनिया में पर ना जाने क्यूँ अब वो चेहरा अपना सा लगने लगा है..-
"फ़ितरत" लोगों कि कुछ यूं बदलते देखा है,
सामने से "तारीफ़" और पीछे से "बुराई" करते देखा है-
Happy wala Birthday to one of the sweetest person I have ever met on YQ.... You are an amazing script writer, poet and a wonderful person both from outside as well as inside.... Enjoy this beautiful day with your family and friends 😊☺️
Happy birthday once again.....🎉💐🎂🎊
N here is ur gift hahaha..... 🎁🎁🍫🍫-
Dedicating a #testimonial to kashish varshney
Happy birthday Kashish🎉💐🎊😀