विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:। परलोके धनं धर्म शीलं सर्वत्र वै धनम्॥
भावार्थ :
विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील सर्वत्र ही धन है ।-
30 NOV 2018 AT 17:30
विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:। परलोके धनं धर्म शीलं सर्वत्र वै धनम्॥
भावार्थ :
विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील सर्वत्र ही धन है ।-