तुम क्या जानो क्या होती है तन्हाई, वफ़ा की किस्मत में क्यों लिखी होती है जुदाई, तुम तो बारिश के बूंदों की तरह बह चले गए, हम पतझड़ के पेड़ जैसे सुखी ज़मीन पर ही रह गए।।
जहां कहीं भी देखो खुदा का नूर है, दिलवालों में तेरा ही तो नाम मशहूर है, तेरे राह क़दम पर चलने को तैयार है नेक बंदे, फ़िर भी न जाने क्यों लाखों का दिल मगरुर है।
नये साल की नयी अभिलाषाएं, कुछ अधूरे सपने तो कुछ नयी तमन्नाएं, पुराने लोंगो को साथ लेकर चलना है, नए साथियों को भी संग जोड़ना है, मानवता से प्रेम, दया व आदर का मुख कभी नहीं मोड़ना है, हर्षोंल्लास से भरा हो आप सबका नववर्ष, न रहनें दें अपने दिल पर बीतें ग़मों का बोझ।।