शुभी मिश्रा   (शुभी🦋)
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क़फ़स से डरती एक तितली सी लड़की🦋🌻
Instagram- shubhimishraaaaaaa
Joined 30 October 2017


क़फ़स से डरती एक तितली सी लड़की🦋🌻
Instagram- shubhimishraaaaaaa
Joined 30 October 2017
28 DEC 2021 AT 19:59


हम नहीं मरेंगे आग में जल कर
या पानी में डूब कर हमारे हिस्से
नहीं आयेगी हमारे पूर्वजों की तरह
सम्मान जनक मृत्यु हम मरेंगे
उन तमाम ध्वनियों के बोझ तले
दब कर जिन्हें शब्द बन कर कहनी थी
कविताएँ हम वो अभागे मनुष्य है जिसने

"प्रेम लिखने से अधिक प्रेम करने में समय गंवाया"


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28 OCT 2021 AT 23:10

मैंने अपने आराध्य से नहीं मांगा तुम्हें
"देह की दूरी हृदय में प्रेम बढ़ाती है"

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तुम्हारी एक छुअन ने
मुझे भर दिया गुलमोहर
की सुगंध से अब मैं
पृथ्वी को सुगंधित करुँगी
"तुम्हारे प्रेम से"
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मेरी प्राथमिकताओं की
सीढ़ी पर तुम सबसे ऊपर थे
"प्रेम ने कब प्राथमिकता से
अधिक पूर्णतः चाही है"
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तुम्हारे साथ होते हुए
मैंने जाना मरुस्थल में भी
उगाए जा सकते हैं पुष्प
मेरा तुमसे प्रेम करना
"प्रकृति में बदलाव लाने का प्रथम प्रयास है"
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31 JUL 2021 AT 20:25

तुम्हारी तमाम स्मृतियाँ है
मेरे पास जो बिखरी है
इधर उधर मेरे कमरे में
नहीं, मैंने उन्हें सहेजा नहीं
स्मृतियों को मनुष्य नहीं
"स्मृतियाँ मनुष्य को सहेजती है"
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तुम्हारे हाथों में प्रेम उगेगा
जब जब डाले जायेंगे स्मृतियों के बीज
प्रेम पनपे इसके लिए आवश्यक है
"सीचा जाए प्रेम को स्मृतियों से"
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प्रेम और स्मृतियाँ पूरक है
एक दूसरे के तुम आते हुए
सदैव प्रेम मांगोगे और
"जाते हुए चाहोगे स्मृतियाँ"
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15 JUL 2020 AT 20:54

क्रूर प्रेमिकाएं होती होगी
वे जो जला देती होंगी
प्रेमी के जाने के बाद उनके खत
'खत जलाना देह जलाने जैसा है'।
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प्रेमी के जाने के बाद
संजोए जानें चाहिए उसके खत
किसी प्रेमी का उसकी प्रेमिका को दिया
अब तक का सबसे अनमोल उपहार है
'उसकी स्मृति'
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'तुम और मैं' हम दोनों
नदी के दो तटबंध हैं
हम दोनों एक दूसरे को देखेंगे
और हमारी आँखें करेंगी आलिंगन
'आँखों का आलिंगन प्रेम में सर्वोपरि है'।
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तुम्हारी हथेली छूने के बाद मैंने जाना
प्रेमियों का ईश्वर
प्रेमिकाओं की हथेलियों पर वास करता है
'प्रेम दुनिया को एक हथेली तक सीमित कर देता है'।

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19 JUN 2020 AT 20:24

मेरे चले जाने के बाद कोई कविता लिख कर शोक मत जताना तुम मेरे लिए, मैंने सुना है शब्द मरे हुए इन्सान को भी ठग सकते हैं।

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नदी को शब्दरूपी नाव से पार कर जाना
पथरीली चट्टान पर एक बाग उगा लेना
समस्त भूखण्ड को एक बार में खंगाल लेना
तारों को प्रियसी की चुनरी में टाक देना
चाँद को माँ की रसोई का दीया बना देना
शब्दों को विलाप करते देखना
पुरूष का प्रसव पीड़ा सहना
अपार सुख की अनुभूति करना

रह रह कर ये ख़्याल आनन्दित कर रहा है
कितना सुखद होता होगा कवि होना!!


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23 MAY 2021 AT 14:47




तुम तक
पहुँचने के लिए
मैंने प्रयोग की
कई सीढ़ियां
जब कि तुम तक
जाती थी बस एक
"संवाद की सीढ़ी"

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30 APR 2021 AT 19:08

सुख ने तलाशा कितना कुछ
दुख तलाशता रहा सदैव
"अपनों की हथेली को"

कभी कभी हथेलियों का
थामा जाना उतना ही
आवश्यक होता है
जितना जाते हुए का
"दो पल ठहर पीछे मुड़ कर देखना"

अगर जाते हुए देखा जाए
पीछे मुड़ कर तो जाने कितने
अपनों को बचा लिया जाएगा
"पीड़ा के बादल में घिरने से"

पीड़ा के बादल में घिरे हुए
जब तुम चुनोगे नवजीवन
तब हम चुनेंगे तुम्हारी
स्मृतियों से संक्रमित होना
"स्मृतियाँ जाते हुए का दिया हुआ अंतिम उपहार है"


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हमारी आँखों ने एक दूसरे को देखा
लेकिन हमारे शब्द नहीं कर सके संवाद
मैंने अपने मन पर पाए अनगिनत छाले

"अनकहा प्रेम देह को नहीं मन को घाव देता है"
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मैं तुम्हारी याद में कोई स्मृति ग्रंथ नहीं लिखूंगा
बस अपने इर्द-गिर्द लगाऊंगा अनगिनत पेड़
और उनसे करूँगा संवाद

"प्रेम संवाद की पटल पर उगने वाला कोई पौधा है"
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मैंने सभी दिशाओं में नहीं खोजा तुम्हें
एक जगह बैठा रहा तुम्हारे इंतेज़ार में
एक बार तुम्हारे घर की दिशा पूछने पर तुमने कहा था

"प्रेम सभी दिशाओं को एक कर देता है"
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तुम्हारी देह चूमने से बेहतर था
मैं गिनता तुम्हारी देह के तिल
तुम्हारे तिल धुंधला कर देते मेरी स्मृति को
और मैं भूल जाता पीड़ाओं का अन्वेषण करना

"तुम्हें नहीं लगता प्रेम पिता की गोद सा होता है"

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