तुझसे मोहब्बत का सिलसिला कुछ ये था
जख्म भी तुम ही थे
मलहम भी तुझ ही से था
तुझसे मिलता सुकून भी था
उठता दिल में तूफान भी था
तुझको इबादत में मांगना भी था
और तुम्हे ही भुलाना भी था
तुझसे मोहब्बत का सिलसिला कुछ ये था।
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Shayra✍
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