अमृत वचन
हिंदू सिद्धांत के अनुसार कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठता के अंतिम आविष्कार के रूप में उत्पन्न नहीं होता। ऐसा कहना ठीक भी नहीं है। क्योंकि उसका अर्थ यही होगा कि अपने समाज की नए-नए श्रेष्ठ नररत्नों के प्रसव की शक्ति समाप्त हो गई है। अपने यहाँ के सभी जानकार लोगों ने कहा है कि अखंड रूप से महापुरुष हुए हैं, हो रहे हैं और आगे भी होंगे।
श्री गुरुजी- #शिवा
6 MAR 2018 AT 10:29