नींद नहीं अब आँखों में
तेरे दीदार की चाहत रखतीं
तेरा रास्ता तकतीं हैं रहतीं
होठों से लफ्ज़ न निकले कोई
पर आँखें यह कहती रहतीं
तेरा ज़िक्र चले दिन रैन यूंही
तेरे नाम से दिल धड़के यूंही
जुस्तजू जिसकी थी कब से
वो यार मिलाया है रब्ब ने
रात भर अब नींद नहीं
बस कलम स्याही से कागज़ पर
जज़्बात ए दिल उतारती रहती-
अंदाज़े बयां कोई क्या करे
जैसे कोई खूबसूरत नज़्म
दिमाग़-ओ-दिल इंतज़ारे यशरब
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ज़िंदगी है ताना बाना
कुछ हक़ीक़त कुछ अफसाना
इसकी कुछ उलझनें हैं
और कई सवाल भी
कुछ चाहतें और ख्वाहिशें
मुश्किलों के हल भी हैं
शिकायतों के जवाब भी
ज़िंदगी है ताना बाना
क्या मुमकिन है,
हर पल इसे हस के जी पाना???-
कुछ हसीं पल
जो यादें बन गए
मुक्कमल न कर सके जिंदगी
दर्द मीठा मगर दे गए-
क्या कहीं कोई हमें याद करता है?
क्या कहीं कोई रात भर जागता है,
कुछ कहने और सुनने को तड़पता है?
बस खुद से बात करते करते
कब वक्त बीता और रात से सुबह हुई
चांद की चांदनी ख़त्म, सूरज ने किरणें बिखराई
आस और विश्वास रोज़ एक दूसरे से कहते देखे
मायूस न हो, कर यकीन खुद पर
आज तू खुद से बातें करती है
जल्द करेगा कोई तुझसे प्यार जी भर कर
रात भर खुद से बात करते हैं ...-
And the rain poured on the ground
The scent of the wet mud
Blooming a precious flower from its bud
Silent whispers between us
Holding hands with a gentle press
A breeze of love and the feeling of caress
My heart feens to stay forever in this bliss-
A myriad of gentle love
Your subtle voice speaks volumes
And your soft look brings me intense pleasure
My heart wants to live in these moments forever
These moments, in which we are together
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तेरी हल्की सी वो मुस्कुराहट पसंद है
मेरी तरफ देखती वो तेरी चाहत भरी नज़र पसंद है
वो धीरे से तेरा मुझे पुकारना पसंद है
तेरा सरलता से बातों को समझाने का तरीका पसंद है
तेरी उंगलियों का स्पर्श जो मुझे गुदगुदाए वो पसंद है
तेरा मुझे अपनी बांहों में भर लेना पसंद है
तेरी खुशबू जो मेरा रोम रोम महकाए वो पसंद है
बरसात में गुज़ारा हमारा वो साथ पसंद है
तेरे संग बीतता है जो वो हर लम्हा पसंद है
न जाने कैसे कहूं मुझे तू किस कदर पसंद है
न जाने कैसे कहूं मुझे तू किस कदर पसंद है-
तेरा अक्स मुझे बस दिखता है
तेरी सांसों की वो गर्मी
मेरी रूह तक जो जाती है
झूठ नहीं सच कहती हूं
वो मेरी जीवनदायनी है
तेरी उंगलियों की वो हर हरकत
मेरे जिस्म को अब भी गुदगुदाती है
तेरे इत्र की ही नहीं, तेरे जिस्म की खुशबू भी
मेरे जिस्म को महकाती है
तू बस तू ही मेरे तसव्वुर में
मेरे चारों ओर तेरी परछाई है-