काश मैं एक छोटा बच्चा होता,
बिना शर्म के शायद अधनंगा होता..
बिना किसी फिक्र , दिन भर दौड़ लगाता होता..
वो रोना बस पल भर का क़िस्सा होता
काश मैं एक छोटा बच्चा होता..
ना मकान की ज़रूरत होती,
वो माँ का आँचल ही सारा जहाँ होता..
ना भूख की कोई चिंता होती,
पापा की जेब ही सारी दुनिया का खज़ाना होता,
अकेले चलने की जरूरत ना पड़ती
और गिर जाने पे माँ-बाप का सहारा होता..
लड़ने को दुश्मन ना होते
भाई बहनों की नोकझोंक से
ही वो गुस्सा हमें नागंवारा होता
काश मैं एक छोटा बच्चा होता,
ज़िन्दगी बोझ नहीं..एक सफ़र सुहाना होता,
जहाँ हर ग़म खज़ाना
और हर ख़ुशी एक किनारा होता..!
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