Shìväm Chaturvedi   (Shivam Chaturvedi)
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Thoughts appear like smoke.🚬
In love with two liners.🖤
Joined 30 January 2018


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29 NOV 2021 AT 16:40

खाली बेरंग कागज़ पर,
तुम्हारे नाम की स्याही का रंग है...
क्या ही हो किसी बात की फ़िक्र,
जो तुम्हारा साथ... मेरे संग है...

शांत, मदहोश, गुमसुम शामें,
उनमें तुम औऱ तुम्हारी बातें...
मेरी ख्वाइशों का बाज़ार हो तुम,
मेरी शायरियों का ही क्या, मेरा भी सार हो तुम...

पसन्द है मुझे तारों का टूटना,
फ़िर तुम्हें सोचना...दुआ माँगना,
मेरा नसीब है कि तू मुझे नसीब है...
जैसे सब तारों में एक तारा चाँद के सबसे करीब है...

तुम्हारी कहानी में कई किरदार है मेरे,
मेरे किरदार की एकमात्र कहानी हो तुम...
हर पहर, हर वक़्त का ख़याल हो मेरा,
इक एहसास-ए-मसर्रत रूहानी हो तुम।❤️

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7 JUL 2021 AT 20:56

सोचा था हज़ारों लफ़्ज लिखूंगा,
तुम्हें सामने बिठाकर...
नज़र तुम्हारी आँखों पर क्या ठहरी,
कागज़ कोरे रह गए...❤️

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14 APR 2021 AT 16:57

कुछ इस प्रकार का जीवन मिला कि...
घटी हुई प्रत्येक घटना का विलोम,
अपार सुख हो सकता था।

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1 JAN 2021 AT 18:37

बहुत मुश्किल है इस बात का समझ आना,
तुम्हें देखना और फिर जान का निकल जाना। ❤️

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8 DEC 2020 AT 9:38

तेरी आँखों को कोई नंगी तलवार लिखूं,
मैं ख़ुद को तेरा तलबगार लिखूं,
कलम उठा एक शब्द में तुझे 'मेरा प्यार' लिखूं,
मैं हाथ जोड़ूँ तेरी दुआ में...औऱ अमीन बार-बार लिखूं।❤️

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19 NOV 2020 AT 19:29

हुनर मुझे इंसान परखने का,
तुम कुछ जानी सी लगती हो...
हो क्या तुम कोई आईना,
तुम मुझे मुझ ही सी लगती हो...

ये नक्श.. क्या लिहाज़ आँखों का,
तुम तहज़ीब लखनवी लगती हो...
ये जो तुम लगती हो मेरे जैसी,
तुम मुझे इश्क़ सी लगती हो...

भीनी धूप सा खिलता चेहरा,
तुम ठंड वाली धूप सी लगती हो...
ख़याल तुम्हारे ले बैठते है मुझे फ़ुरसत में,
तुम मुझे इतवार सी लगती हो...

ख़ामोश भी जचती हो तुम,
तुम मुझे तजुर्बों का निचोड़ लगती हो...
मैं खंडर अपनी ख़्वाईशों का,
तुम मुझे मुझ ही सी लगती हो।❤️

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7 NOV 2020 AT 19:35

औऱ ढलती शाम के साथ तुम्हें सुनने और देखते रहने का...
शौक़-चस्का-लत-तलब ऐसा है जैसे चाय का आखिरी घूँट।❤️

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30 AUG 2020 AT 23:31

वक़्त-ए-शाम या ख़्याल-ए-रात,
तुमसे दूर होने को हम क्या नही करते है...
फ़िर हार कर अक़्सर अकेले में हम,
तुम ही को जी लिया करते है। 🚬

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19 AUG 2020 AT 15:45

मैंने देखें तुम्हारे बाद के मौसम...
'तुम्हारे साथ के मौसम' नहीं तुम्हारे बाद के मौसम। ❤️

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19 JUL 2020 AT 11:58

दो बुँदे क्या बरसी,
चार बादल क्या छा गये...
किसी के जाम छलके,
तो किसी को कुछ नाम याद आ गये।❤

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