खाली बेरंग कागज़ पर,
तुम्हारे नाम की स्याही का रंग है...
क्या ही हो किसी बात की फ़िक्र,
जो तुम्हारा साथ... मेरे संग है...
शांत, मदहोश, गुमसुम शामें,
उनमें तुम औऱ तुम्हारी बातें...
मेरी ख्वाइशों का बाज़ार हो तुम,
मेरी शायरियों का ही क्या, मेरा भी सार हो तुम...
पसन्द है मुझे तारों का टूटना,
फ़िर तुम्हें सोचना...दुआ माँगना,
मेरा नसीब है कि तू मुझे नसीब है...
जैसे सब तारों में एक तारा चाँद के सबसे करीब है...
तुम्हारी कहानी में कई किरदार है मेरे,
मेरे किरदार की एकमात्र कहानी हो तुम...
हर पहर, हर वक़्त का ख़याल हो मेरा,
इक एहसास-ए-मसर्रत रूहानी हो तुम।❤️
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