कोई खामोश है।
कोई बोलता है।
हर कोई हर किसी को,
यहां बस तौलता है।
हम तो इंसान है।
राम जी, धनुष उठाने को मजबूर हुए।
और कृष्ण यहां, महाभारत को मजबूर हुए।
कुछ मुस्काते भी लोग है यहां ।
जो मजबूरी में हंसते है ।
कुछ रिश्ते भी मजबूर यहां।
कौने गलियों में बसते है।
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अक्सर इंसान जताता है।
दूसरे के सुख के साथ,
अक्सर यह बढ़ता ही जाता है।
कभी-कभी भूल जाते है,
तो भूल कैसे गए मुझे, बोलकर
कमबख्त खुशी में भी गले से लिपट जाते है।
कभी आंसू के रूप में आंखों से बह जाते है,
कभी दिल की गहराइयों में छुपकर,
नासूर बन जाते है।
इंसान का दुख है साहेब,
जाते ही फिर लौट आते है।-
वो किस्सा जिन्दगी का
कमबख्त सबब है की
खत्म नहीं हो रहे
और वक्त है की
रुकता नही
तुझे समझने को-
Kabhi kabhi dil udas hota hai,
haquikat mai rahte hue bhi,
sapno mai hone ka ehsas hota hai,
hota hai eaisa mere saath hi kyu?
ai khuda mujhe bata,
sab kuch hai, phir bhi,
kuch na hone ka ahsas hota hai.
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रौशनी की जरूरत नहीं है मुझे
मेरे लिए 'मैं' ही काफी हैं
अंधेरा बार बार करो तुम
उजाला मेरे मन का ही काफी हैं।-
कुछ दूर चले जाए
आ तेरे रंग मे रंग जाए
दुनिया याद रखती नही आम बातो को
तू और मैं मिल कर कुछ खास हो जाए।
संग तेरे
कुछ पल ही बिताए
सुन तू और मैं अब हम हो जाए-
कितनी आसानी से कह दिया,
भुल जाओ, हमे
या उन्हें,
सुनो बस इतना कह देते
सांस लेना छोड़ दो
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कुछ दूर निकल आए
हकीकत के कुछ और करीब
मंजिल की तलाश में
अपनो से कुछ दूर निकल आए
गैरो के कुछ और करीब
सपनो की तलाश में
ख्वाबों की रोशनी से
कुछ दूर निकल आए
बस दूर निकल आए
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नए साल में मुस्कुराते है,
सही समझा,
सुनो थोडा सा बस उनका दिल जलाते है।-