Sheetal Mishra   (sheetu_mish)
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15 OCT AT 17:21

सबको लगता है मुस्कुरा रही हूँ,
तब मैं रो रही थी।

सबसे मिलकर भी,
ख़ुद से मैं खो रही थी।

जितना जानती गई,
उतनी ही सबसे दूर हो रही थी।

बस अब
अक्सर अकेली रहती हूँ।
अपने साथ,
कर लेती हूँ ख़ुद से ही बात।

थाम लेती हूँ अपना ही हाथ,
जब नहीं दिखता किसी का साथ।


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15 OCT AT 17:12

ऐसा नहीं है कि,
कर नहीं सकती
पर शायद कैसे करूँ,
ये समझ नहीं पा रही हूँ ।

सुलझने की कोशिश में
उलझती जा रही हूँ,
उठाऊँ कोई एक हिस्सा तो
दूसरे को भुला रही हूँ।

समय लगेगा
लेकिन ये भी हो जायेगा,
ख़ुद को रोज़ ये समझा रही हूँ ।

जानती नहीं कैसे
पर कर लूँगी
मन को ये बतला रही हूँ।

सुलझने की कोशिश में
और उलझती जा रही हूँ ।

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20 SEP AT 14:36

What I said: “take care”

What I mean to say:

रखना ख़्याल अपना…
मेरी बस इतनी सी गुज़ारिश है,

हमेशा मुस्कुराओ तुम…
मेरी बस इतनी सी ख़्वाहिश है,

तुम्हारे होने से हर पल रौशन है…
रौशन है ज़िन्दगी की ये राहें,

तुम साथ रहो सदा…
मेरी बस इतनी सी फ़रमाइश है।।

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20 SEP AT 13:16

बदल कर जिंदगी में आने वाले लोग,
ये भी वही थे आख़िर जमाने वाले लोग,

कविताएँ मुझको मेरी बयाँ कर रही हैं,
उम्र भर तन्हा रहे ये दिल लगाने वाले लोग,

मासूमियत बिक गई जब सस्ते में हमारी,
चालाकियों पर अपनी इतराने लगे लोग,

फूलों, कविताओं ने बचाए रखा प्रेम…वरना,
हुस्न को ही इश्क़ समझते ये हुस्न पर मर जाने वाले लोग,

आँखों को पढ़ने का हुनर अभी कुछ को मालूम है,
कहीं बोलने ना लगे ये खामोश रह जाने वाले लोग।

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31 MAR AT 10:12

आसान नहीं होता दिमाग़ वाली स्त्री से प्रेम करना,
क्यों कि उसे पसंद नहीं होती जी हुजूरी…

झुकती नहीं कभी वो जब तक ना हो रिश्तों और प्रेम की
मजबूरी, तुम्हारी हर हाँ में हाँ और ना में ना कहना वो नहीं
जानती, क्यों कि उसने सीखा ही नहीं झूठ की डोर में रिश्तों
को बाँधना। वो नहीं जानती स्वांग की चाशनी में डुबोकर
अपनी बात मनवाना, वो तो जानती है बेबाकी से सच बोल
जाना। फ़िज़ूल की बहस में पड़ना उसकी आदतों में शुमार
नहीं, लेकिन वो जानती है तर्क के साथ अपनी बात रखना ।

वो क्षण-क्षण गहनों की माँग नहीं किया
करती, वो तो सँवारती है स्वयं को आत्मविश्वास
से, निखारती है अपना व्यक्तित्व मासूमियत भरी
मुस्कान से।

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11 JAN AT 23:32

अपनी खुशियों को मैं ग़मों के हवाले कर आयी हूँ,
तगादा करने गयी थी मैं उल्टा नगद दे आयी हूँ,
मोम से भी ज़्यादा नाज़ुक है दिल मेरा, जल्दी पिघल जाता है
अंधेरा किसी और के घर में था और मैं ख़ुद को जलाकर आयी हूँ ।

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10 JAN AT 15:30

जन जन की भाषा है हिंदी
भारत की आशा है हिंदी…
जिसने पूरे देश को जोड़े रखा है
वो मजबूत धागा है हिंदी…
हिंदुस्तान की गौरवगाथा है हिंदी
एकता की अनुपम परंपरा है हिंदी…
जिसके गर्भ से रोज नई कोंपलें फूटती हैं
ऐसी कामधेनु धरा है हिंदी…
जिसने ग़ुलामी में क्रांति की आग जलाई
ऐसे वीरों की प्रसूता है हिंदी…
जिसके बिना हिन्द थम जाए
ऐसी जीवनरेखा है हिंदी…
जिसने काल को जीत लिया है
ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी…
सरल शब्दों में कहा जाए तो
जीवन की परिभाषा है हिंदी…।

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26 SEP 2024 AT 23:10

संघर्ष की मिट्टी पर,
जब कोई बीज बोया जाता है,
कोई नहीं देना चाहता उसे,
पानी, ख़ाद या ज़रूरत पनपने की,
सिवाय चंद लोगों के।

जब वह बीज़ खिलकर हो
जाता है फूल या फल,
सब चाहते हैं उस पर अपना हक़,
अपना हिस्सा, उन फूलों की ख़ुश्बू,
उन फलों का सेवन और सारी ज़रूरत।

वो फूल आते हैं सबके काम,
वो फल सबको मिलते हैं बराबर,
और ये उनकी कमज़ोरी नहीं होती,
होती है उनकी महानता, स्वाभाविक।

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25 SEP 2024 AT 20:59

कदर करना ही प्यार है,
फ़िक्र करना ही प्यार है।
बहकी बहकी बातें करके,
ढेर सारी तारीफ़ें करना ही प्यार है।
सिर्फ़ एक ही को चाह कर,
एक ही पर ठहर जाना प्यार है।
राह कितनी भी मुश्किल हो,
मगर फिर भी डट कर खड़े हो जाना
और दिन के उस आख़िरी हिस्से तक
मन भर के चाहना ही प्यार है।
किसी एक को हमसफ़र बनाकर,
कोई और कभी ना पसंद आना ही प्यार है।
यह पढ़ते समय जो तुम्हारे दिल में है
वही तुम्हारा प्यार है।❤️

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25 SEP 2024 AT 1:22

एक अलग सा लगाव है रात से मेरा,
नींद आती भी है तो सोने को दिल नहीं करता।

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