31 OCT 2020 AT 8:33

इन पन्नोमे
अल्फाज़ों के रूपमे
मेरे कई जज़्बात छुपे है
कई सिसकियाँ और कई तूफां दबे है।
ज़्यादा सोचने समझने की कोशिश न करे
में खुद भी अपनी ही सिलवटों में
अभी तक उलझी हुई हूँ।

- Shamim Merchant