काग़ज़ के साथ।
एक को देनी है दूजे को मात।
मुझ बिन तू कुछ नही,
कहे मेरी स्याही।
मुझ बिन तू कहा जाती,
मेरे काग़ज़ की है ये दुहाई।
मेरे अल्फ़ाज़ के बगैर तुम दोनों का क्या काम
न लड़ो, न करो खुद को यूँ बदनाम//शमीम
- Shamim Merchant
24 JAN 2021 AT 13:57
काग़ज़ के साथ।
एक को देनी है दूजे को मात।
मुझ बिन तू कुछ नही,
कहे मेरी स्याही।
मुझ बिन तू कहा जाती,
मेरे काग़ज़ की है ये दुहाई।
मेरे अल्फ़ाज़ के बगैर तुम दोनों का क्या काम
न लड़ो, न करो खुद को यूँ बदनाम//शमीम
- Shamim Merchant