1 NOV 2020 AT 11:38

ग़मगीन हूँ
पर शर्मसाज़ नहीं।
खतावार हूँ
पर बेवफा नहीं।
इन आसुओं का
वसीला है तुमको
बस...माफी की तलबगार हूँ।

- Shamim Merchant