ख़ैर ! अब कौन हमको पढ़े
ये किस्सा भी पुराना हुआ
तुम ना आ सको तो अपनी खुश्बू भिजवा दो
ये आँगन सुना, घर विरान हुआ
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Shakti Singh
("शक्ति")
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उम्र इक्कीस , बनारसिया
थोड़े गम थोड़े आंसू थोड़े दर्द
थोड़ी तन्हाई थोड़ी उदासी ये मैं हूँ जो शाय... read more
थोड़े गम थोड़े आंसू थोड़े दर्द
थोड़ी तन्हाई थोड़ी उदासी ये मैं हूँ जो शाय... read more
Joined 26 April 2018
7 SEP 2022 AT 14:07
18 AUG 2022 AT 18:01
वो रंग नही जो सुर्ख हिंना हो मिट जाऊँ प्रिये
तुम बहते दरिये से फ़ना मुझपे
मै गंगा सी तुम्हारी "काज़ल" प्रिये-
14 AUG 2022 AT 12:42
इक इधर मै हूँ कि घर वालो से नाराज़गी है
इक उधर तू हैं के गैरों का कहा मानता है
मै तुझे अपना समझ के हि तो कुछ कहता हूँ
यार तू भी मेरी बातों का बुरा मानता है-
14 AUG 2022 AT 11:43
ये भी सच है मुझे उसने कभी कुछ न कहा
ये भी सच है उस औरत से छुपा कुछ नही था-
12 AUG 2022 AT 12:05
तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैने तो मोहब्बत कि है-
13 JUL 2022 AT 15:26
क़ातिल को जो न रोके वो क़ातिल के साथ है
ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है जुल्म में-
2 JUL 2022 AT 12:29
कहाँ....कौन...न जाने कैसे...ठीक है..मगर...ये तो नही...वरना... खैर...छोड़ो!!
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