Selva Raj   (Selva)
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Joined 3 September 2018


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Joined 3 September 2018
30 JUN AT 19:12

एक गरीब के घर मैंने कुछ दीये जलाएँ थे,
उसका घर और मेरा दिल दोनों फ़रोज़ाँ हो गये।

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26 JUN AT 18:42

तवाफ़ में रहे ताउम्र दैर-ओ-हरम में हम,
घर मे जो एक बूढ़ी माँ थी उसे दवा न दे सके ।

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26 JUN AT 14:22

तैरना सीख लीजिये।
वरना डुबोने के लिए,
सारा शहर तैयार है।

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26 JUN AT 13:30

नहा रहे थे एक साथ
हर धर्म जाती के लोग,
माँ, गँगा फिर भी गँगा ही रही।
यहाँ कुछ लोगों के छू लेने से,
कुछ लोग अपवित्र हो जाते है ।

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25 JUN AT 14:04

दवा भी वही है और वही है बीमारी।

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24 JUN AT 23:00

रक़ीब से माँग कर क्या गुनाह किया,
इंसान कड़वा है चाय तो मीठी देगा ।



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24 JUN AT 22:53

इश्क़ का इज़हार
कुछ यूँ ना किया कभी,
हार लिखा हो जिसमे
वो क्या ही जीत दिलाएगा।

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24 JUN AT 21:23

आख़िर मे ख़ुद से ही कहा है थक कर मैंने,
साथ न दे सके तुम्हारा।

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18 JUN AT 21:31

इश्क़ नही करना था।

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16 JUN AT 0:07

बंद आँखों से भी दुनिया दिख जाती है ।

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