Sarfraz Khan  
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Poet,Actor,Ancor
Joined 21 May 2018


Poet,Actor,Ancor
Joined 21 May 2018
7 JUN 2021 AT 14:16

Meri hi bate har kisi se karte dikhega,

Giri hui soch, ab aur kitna girte dikhega.

Tu kisi par , to tujh par bhi koi h yaad rakh.

Ae Nasamjh

Tu khudki nigh me, khudko barbaad hote dikhega.

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29 MAY 2021 AT 17:08

khud karzdaar h. aur khud par guroor karte h,

khud ke matlab par, sbse ji huzoor karte h

OO Nasamajh .

KHUDA ka hath h ham par vahi raah dikhaega .

Waqt ka khel h ye. ek din tujhe khud par taras aaega..

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24 MAY 2021 AT 13:06

ऐ खुदा, उस मतलबी को एसा मतलब दिखा,
की उसका वो मतलब कभी पूरा ही ना हो।
ऐहसास हो हर बार उसे उसके किए का,
की उसके मरते तक, दिलकी ये आह उससे जुदा न हो।।

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17 MAY 2021 AT 13:14

Hazaro chale chal rah h vo,
khudko bachane ki ..

kisi ke dil se nikli baddua h.
kese sbhal paoge..

jis pththar ko sajaya h, ashiyane me.

yakeenan thokar bhi usse har baar khaoge.

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10 MAY 2021 AT 12:45

तू ठहर, तुझे भी मजा आएगा,
जो तेरे साथ हुवा,वो उसके साथ होता नजर आएगा।
दिल की खलिश है ये,उपर तक जाएगी,
कुदरत ज़रूर उसका,गुरूर मिटाएगी।।

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6 JUL 2020 AT 9:50


मौत आई मेरे पास हस्ते हुए,
बोली चल तुझे दर्द का एहसास कराती हूं।।

मैंने भी खोल कर रख दिया दिल अपना,
बोल चल तुझे इस दर्द से निजात दिलाती हूं।।

💔💔💔💔💔💔💔

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6 JUL 2020 AT 8:10


वफा?
बेवफा बेवफा कहकर वो मुझे आहें भर रही थीं।
रात रात भर ऑनलाइन वो, कैसी वफा कर रही थीं।।

मैंने कहा उससे, बहत तकलीफ़ में हूं मै
hmm कहकर मिनटों बाद वो मैसेज Seen कर रही थी।
वो कैसी वफा कर रही थी।।

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5 JUL 2020 AT 19:29

कोई है क्या। जो मेरे दर्द को सभाल सके ।
दिल में लगे तीर को अपने हाथो से निकाल सके।

में बरस पड़ू उस पर इश्के जुनू की बारिश सा।
कोई है क्या। रख अपने सीने पर सर मेरा
मेरे आंसुओ की ढ़ल बने।।

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30 JUN 2020 AT 23:10

कुछ दिन पहले एक स्लोगन बहत चर्चित रहा था
अब मुझे डर है कि एक नया ना आजाए ।

" मै भी गधा"

😄😄😄😄😄😄😄😄😄😄
ये बात बिल्कुल काल्पनिक है, इसका किसी भी जीवित या मृत्यु से कोई लेना देना नहीं ।अगर होतो
उसके मात्र एक संयोग कहा जाएगा।

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14 MAY 2020 AT 23:54

।भूखी आंख।
रूह कांप जाए देख ऐसी खाक।
सूखी हलक,और वो भूखी आंख।।

जो नहीं देखती सर पर तिलक या टोपी है।
झपट पड़ती यह देख की उसके हाथो में रोटी है।।

रास्तों पर दौड़ती हुई ,चीखती आंख।
हर हाथो की थैली को घूरती हुई, भूखी आंख।।

कलेजे के टुकड़े को भूखा सुलाती , डराती आंख।
खुद को बेचने निकल जाती। भूखी आंख।।

बिन कहे सब कह जाती ,सिसकती
देखी है क्या तुमने । वो भूखी आंख।।

SARFRAZ KHAN

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