12 JUN 2018 AT 17:35

हवा को इत्तिला न हो जाये कहीं
की मिल रही है तेरी औऱ मेरी रूह
सम्भाले रखना दामन अपना
की ये मुझसे उलझने को चल पड़ी हैं

- Saraswati kumari