प्रेम के नाम पर अपने प्रेमी या प्रेमिका को हर क्षण अपनी बाहों में बांधकर रखना बाहुपाश नही नागपाश है। जो निरतंर उस का दम घोट सकता है मध्य के अंतराल में विष घोल सकता है। और अंततः हत्या कर सकता है वास्तविक प्रेम भाव की ।
जब मेरी माँ अपनी पसंद के बाल कटवाकर अपनी पसंद के रंग के कपड़ो में पापा के साथ, मकान से सिर्फ चौराहे तक जा सकेगी.. तब औरतों को आजादी प्राप्त होगी उससे कम कुछ भी आज़ादी नही है सिर्फ़ अनुमतियाँ है।
ये दुनिया ख़ूबसूरत हो जाएगी.. जब पहाड़ अपने सीनों से राजमार्ग बन्द कर बस जलमार्ग बनाएंगे.. नदियाँ अस्थियों के शहर से बाहर बाहर होकर बहेंगी.. चाँद सिर्फ़ चौथ का नहीं हर रोज़ देखा जाएगा.. सूरज ढलता नहीं, उगता निहारा जाएगा.. प्रेम माथे पर कलंक नहीं तिलक बन जाएगा.. शरीर के सारे अंग दिल बन जाएंगे.. और दुनिया के सारे दिमाग ख़ुदकुशी कर लेंगे । तब ये दुनिया ख़ूबसूरत बन जाएगी ।।