Sandhya Jain   (Sandhya)
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Lecturer by profession.
Learner by nature.
Writer by instinct.
Joined 25 January 2018


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2 SEP 2021 AT 3:15

प्रेम के नाम पर अपने प्रेमी या प्रेमिका को हर क्षण
अपनी बाहों में बांधकर रखना बाहुपाश नही नागपाश है।
जो निरतंर उस का दम घोट सकता है
मध्य के अंतराल में विष घोल सकता है।
और अंततः हत्या कर सकता है वास्तविक प्रेम भाव की ।

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30 MAY 2021 AT 19:01

जब मेरी माँ
अपनी पसंद के बाल कटवाकर
अपनी पसंद के रंग के कपड़ो में
पापा के साथ, मकान से सिर्फ चौराहे तक जा सकेगी..
तब औरतों को आजादी प्राप्त होगी
उससे कम कुछ भी
आज़ादी नही है
सिर्फ़ अनुमतियाँ है।

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21 JUN 2019 AT 0:01

सिरफ़िरे आदेशों वाले
कुर्सियों के दफ्तर में
एक जोड़ा चप्पल
और एक जोड़ा हौसला
घिसते घिसते
आकार बदल कर
या तो रूद्ध हो जाते है
या विरुद्ध हो जाते है...

इस देश के दिन ही है ऐसे कि
मुँह जिनके बड़े हो
कान उन नेताओं के अवरुद्ध हो जाते है।

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4 APR 2019 AT 6:45

जो सच को यूं ज़हर कह दिया उन्होनें
मैं झूठ में शक्कर घोलकर पिलाने लगा।

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14 MAR 2019 AT 0:43

अलमारी के एक कोने में
कुछ किताबो के पीछे
वो डायरी
जिसमे रखा
तेरा दिया फूल
..
और कुछ पैसो को ये गुमाँ
हो रहा है कि
अलमारी उनकी हिफाज़त के लिए है!!

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4 MAR 2019 AT 23:11

किसी रात मेरे सीने पर
दुधमुंहे बच्चे सी
सो जाती हैं।

किसी रात इसके पन्नों की गोद पर
सर रखकर
थके हुए बच्चे सी
मैं सो जाती हूँ।
ये किताबें मेरी मुँहबोली बेटियाँ भी हैं
और माँ भी ।


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12 JAN 2019 AT 19:10

उसकी बगल में ही सोता है वो
सिर्फ क़ब्रिस्तान ही हैवानों का जहान नहीं.....

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12 JAN 2019 AT 19:01

कोई दिल भी बना देता है कभी इंसान को इंसान..
सिर्फ समाज ही एक भगवान नहीं ।

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10 JAN 2019 AT 20:19

कुछ कहानियां पढ़ते पढ़ते रुलाने लगती है

ये वही कहानियां है
जो कलम में आंसू भरकर ही लिखी गई है ।

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5 AUG 2018 AT 15:53

ये दुनिया ख़ूबसूरत हो जाएगी..
जब
पहाड़ अपने
सीनों से राजमार्ग बन्द कर
बस जलमार्ग बनाएंगे..
नदियाँ अस्थियों के शहर से
बाहर बाहर होकर बहेंगी..
चाँद सिर्फ़ चौथ का नहीं
हर रोज़ देखा जाएगा..
सूरज ढलता नहीं, उगता निहारा जाएगा..
प्रेम माथे पर कलंक नहीं
तिलक बन जाएगा..
शरीर के सारे अंग दिल बन जाएंगे..
और दुनिया के
सारे दिमाग ख़ुदकुशी कर लेंगे ।
तब ये दुनिया ख़ूबसूरत बन जाएगी ।।

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