Sandeep Sethi   (©Sandeep Sethi)
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Joined 25 May 2021


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YESTERDAY AT 10:10

दफ़न हो गया वो क़िस्सा हमारा,
जिसे कहते थे हम कभी, हिस्सा हमारा…

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8 SEP AT 18:01

महख़ाने के जाम में तू,
मेरी सुबह, मेरी शाम में तू,
मेरी धड़कन, मेरे पैग़ाम में तू,
जब तक ज़िंदा हूँ, मेरी हर बात में तू,
और जब मैं ना रहा, तो रहे मेरी याद तुझमें कहीं,
बस यही है आख़िरी आरजू …

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5 SEP AT 23:21

बंजर ज़मीन की ख्वाहिश तो बस इक बरसात थी,
कौन जानता था ले डूबेगी हमे ,वो अँखिया जो सैलाब थी ।

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4 SEP AT 22:55

झूट चाशनी सा है जहाँ ,
सच का कोई कारोबार नहीं वहाँ ।

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29 AUG AT 9:39

हर दिन टूटता हूँ,
कुछ टूटे रिश्ते बचाने को ।

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26 AUG AT 21:08

हर घर होगा शुभ संदेशा,
आ रहे हैं हमारे गणेशा ।

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25 AUG AT 21:30

निगाहें ए इश्क़ था इस कदर,
हम बस देखते-देखते ही रह गए …

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24 AUG AT 13:12

हर रिश्ता जिसकी राह में बिछा दिया,
जाने क्यों उसने ही , हमसे हर रिश्ता ही मिटा दिया ।

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23 AUG AT 17:08

जिसकी किताब के हर पन्ने पे नाम हमारा था,
कौन जानता था, कुछ पन्नो में ही सिमट जायेगा
ऐसा नसीब हमारा था ।

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31 JUL AT 0:36

लाख ताले लगाओ इस दिलो दीवार पर,
चुरा ही लेता है ए दिल, सच्चे दिल की पुकार पर ।

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