आजकल हर कोई सच मानता है वो बात
जो लफ्ज बयां कर देते है
कमबख्त आखों में जी भर के देखकर
सच पढ़ने का रिवाज जो बंद हुआ है-
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अब हममें कुछ नही बचा
ये मैने तभी जान लिया
जब मैने मुस्कुराकर कहा, ठीक हूं
और उसने इसे सच मान लिया-
चेहरे पे चेहरा लगाने की आदत सी हो गई है
सुकून से मुस्कुराए इक मुद्दत सी हो गई है
दिल के दर्द को हमने झूठी खुशियों से सजा लिया
और सबने इस फरेब को सच भी मान लिया-
लोग खुशियां ढूंढते फिरते है
और हम गम के दिवाने है
कुछ जिंदगी ने तोहफे में दे दिए
और कुछ हम खुदसेही खरीदके लाए है-
यूं तो किस्मत से कई गिले है
कई रिश्ते हमे मिलकर भी नही मिले है
तेरा मिलना भी किस्मत का ही खेल है
कल भलेही पड़े बिछड़ना,
पर आज के लिए तो यह रिश्ता मुकम्मल है-
हम मिले तो सही
पर सही वक्त पे ना मिले
अब जो मिले कोई और
काश वो तो सही मिले-
कुछ जज्बात सिमट कर रह गए अंदर कही
कुछ बाते बस अनकही रह गई
उसने जाने से पहले एक बार मुड़के भी न देखा
और मेरी मोहब्बत यह बेवफाई भी सह गई-
You no longer belong there anymore or not valued enough.
Be it any place, people or relationship.-
तुम्हे आया ही नहीं हुनर कभी
बोलती आँखें पढ़ने का
पढ़ पाते तो समझ जाते
मतलब मेरी खामोशी का-
तू ढूंढता रहा खूबसूरती को जिंदगीभर
जबकि सादगी तेरे सामने खड़ी थी
तू उलझा रहा अपने ही झूठे गुरुर में आखिर तक
तेरे लिए मोहब्बत से ज्यादा दुनियादारी जो बड़ी थी-