भले आरज़ू को दिल के गलियारे में क़ैद कर लेना तुम
तेरा खुदा तो कल भी मेरी हुनर-ए-आशिकीं का तलबगार रहेगा।-
Connotation of coffee and poetry, cornucopia of love and emotions !!!
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इस दिल की नुमाइश तुम रोज़ देखते हो,
कभी चौखट के अंदर तुम आओगे क्या?
मैं अगर मर जाऊं,तो तुम दफनाने आओगे क्या?-
ये जो रातों का कारवां अपने अंदर लिए चल रहा हूं,
लगता है अपनी अर्थी का बोझ लिए जी रहा हूं।-
क्या सही क्या ग़लत????
शादी सही या दूसरा रिश्ता ग़लत???
क्या सही क्या ग़लत????
मेरा इश्क़ सही, तड़पना ग़लत???
क्या सही क्या ग़लत???
तेरी ख़ुशियाँ सही, मेरा बीच में आना ग़लत???
लबों की उदासी सही, रिश्ते का होना ग़लत??
क्या सही क्या ग़लत???
मेरा चले जाना सही, तेरी बेवफ़ाई थी जो ग़लत
तेरी आज़ादी सही, मेरी बर्बादी ग़लत !!!!!
सब सही सब ग़लत
हमारा मिलना सही, साथ आना ग़लत !!!!-
अपनी ही चीख़ों में कहीं खो गया हूँ मैं,
बर्बादी का मंज़र जो सामने खड़ा है मेरे !!!-
इत्तेफ़ाक नहीं था तेरा-मेरा यूँ मिलना...
फ़ुर्सत से रब ने ये कहानी हमारी लिखी है !!!-
एक झलक से तुम्हारे मन का हाल बता दूँ,
यूँ तो आवाज़ से दर्द-ए-दिल की वजह बता दूँ!!!
मेरी ख़ामोशी भी तुम्हें नही चुभती है,
काश मेरे दिल का हाल तुम तक पहुँचा दूँ !!!-
मत सताओ इतना की अब थक गया हूँ मैं,
एक डाल का परिंदा हूँ की अब टूट गया हूँ मैं !!!-
चाँद के दीदार के लिए,
एक खिड़की मैंने बनवाली...
नसीब की दाद है !!!
उस दिन अमावस की काली रात थी !!!!
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हाँ!! एक गुनाह तो मुझसे भी हुआ है
ख़ुद से ज़्यादा भरोसा तुझ पर किया है ।
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