Sajid Write   (sajidwri8s)
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Joined 9 June 2017


Joined 9 June 2017
8 JUN 2020 AT 10:28

मेरी महफ़िल में नज़्म की, अभी इरशाद बाकी है,
कोई थोड़ा भीगा है, अभी पूरी बरसात बाकी है

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27 MAY 2020 AT 8:45

मजबूत और कमजोर सिर्फ रिश्ता नहीं होता है
बल्कि उससे जुड़ा इंसान भी हो जाता है।

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27 MAY 2020 AT 8:38

रूठना तो अपनों का पता चलता है।
गैरों का तो सिर्फ गुस्सा दिखता है।

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27 MAY 2020 AT 8:32

गर नहीं आता मनाना तो सीख लो
अपने हैं तो रूठेंगे भी।

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24 MAY 2020 AT 21:05

फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद
पंडित जवाहर नाथ साक़ी

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24 MAY 2020 AT 21:02

हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएँ
जिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक...

लियाक़त अली आसिम

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19 MAY 2020 AT 20:02

दुनिया की रस्मों में बंध कर यह जिस्म भले ही हो जाए।
किसी और के नाम
यह रूह तो हमने पहले ही कर रखा है आपके नाम।

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18 MAY 2020 AT 18:10

उनके शहर की जानिब से हवा आ रही है।
बाहें फैला ले साजिद
ना जाने कौन सी हवा उनको छूकर आ रही है।

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17 MAY 2020 AT 21:03

बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे
सूरज निकल रहा था कि नींद आ गई मुझे
क़ैसर-उल जाफ़री

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17 MAY 2020 AT 20:57

कहने को ज़िंदगी थी बहुत मुख़्तसर मगर
कुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया
ख़ुमार बाराबंकवी

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