कनक कनक ते सौ गुनीमादकता अधिकायवा खाए बौरे जग वा पाए बौरे - कबीर दास - © सदफ़
कनक कनक ते सौ गुनीमादकता अधिकायवा खाए बौरे जग वा पाए बौरे - कबीर दास
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