27 DEC 2019 AT 18:30

मैं उस माटी का वृक्ष नहीं , जिसको नदियों ने सींचा है
बंजर माटी में  पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खिंचा है
मैं पत्थर पे लिखी इबारत हु , शीशे से कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला मैं नाम नहीं  ,  तुम मुझको कब तक रोकोगे , तुम मुझको कब तक रोकोगे
इस जग में जितने जुल्म नहीं उतने सहने की ताकत है
तानो के भी शोर में रहकर , सच कहने की आदत है

By Amitabh Bachchan

- Saheli