हाँ याद कर लेता हूँ तुम्हें.
हर दफ़ा ना सहीं,
हर जगह ना सहीं
बस इतना याद कर लेता हूँ
जैसे कोई यादगार क़िस्सा
जैसे ज़िंदगी का कोई अहम हिस्सा.
हाँ तुम आज मेरे पास नहीं,
हाँ तुम आज मेरे साथ नहीं.
तुम्हारा नहीं होना भी अब कोई ग़म नहीं.
तुम नहीं हो, ख़ैर कोई बात नहीं
हाँ, अब भी याद कर लेता हूँ तुम्हें,
पर ये याद कर कर के क्या ही हो जाएगा?
तुम से ज़्यादा तुम्हारी यादें साथ दे रही हैं,
शायद यादों से ही मेरा दिन चल जाएगा.
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