दुनिया में ज़हर की किस्में कई हैं
पर मैंने तुमको चुना-
तेरे जहन में मैं हूँ या नहीं , फिक्र इसकी नहीं |
मेरे जहन में फिर तू है कैसे , सवाल इतना है-
हम 'चाय' से है हर चौराहे पर मिल जाते है,
तुम 'कॉफी' सी ठहरी थोड़ा गुरुर तो बनता है जी...❤️-
उस वक़्त भी अक्सर तुझे हम ढूंढ़ने निकले
जिस धुप में मजदूर भी छत पर नहीं जाते ❤-
तु 'था' ..तो 'था' सही ...
तु 'है' ..तो 'है' सही ...
तु गर "रब़" है ..तो "सज़दा" तेरा ,,
अग़र नहीं .. तो "दुआ" सही !! 🤨-
... हम सोचे , ईश्वर कैसा होता है
माँ बना के रब ने इशारा सा कर दिया 😘
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बांध गले में रस्सी
उतर के तुझमें
आकंठ तुझको भर लूं खुद में
सुन
मै जब भी माटी का घड़ा बनूं
तू मीठे जल का कुआं बन जाना😘-
द्वेष..गुस्सा.. झगड़ा..तन्हाई....और बहुत सी उदासी बावजूद उसके चुनते हैं लोग.. चुटकी भर प्रेम !
जाने क्यों !-
प्रेमिकाएँ बहा देती हैं अधूरे वादे नदियों में,
इसलिए पानी खारा है समंदर का!-