अजनबी थे हम पहली मुलाकात मे,
बातें शुरू हुई थी हम दोनो की आधी रात मे।
फिर क्या रोज बातें होती गई।
मैं उसके बातों में खोता गया ।।
मेरा दिल ऐसा था जो पिघलता नहीं था,
वो मुझे रास्तों मे पिघलती गई।।
शुरुवात मे वो कितने हसीन पल था न,
बातें किया करते थे घंटो घंटो कितने अच्छे कल थे ना,
जब छोटी छोटी बातों पर मैं खफा हो जाया करता था।
याद है तुम्हे जब मैं खोने से डरता था ,
हटा कर गम मेरे छीन लेती थी खामोशियां मेरी ।।
वक्त भी कम पड़ जाता था न बाते करने को,
अब तो सुबह शाम हो जाती है रातें काली करने को ।।
अब वो लम्हा मुझे हर पल याद आता है,
वो जो बीता हुआ पल है मुझे बहुत सताता है।।
पता है जब कोई बुरा कहता था मैं लड़ जाता था,
मेरी नजरो से तुम्हारे ओझल होने पर डर जाता था।।
अगर है खुदा तो मैं एक दुआ करूंगा ,
मिले अगर हम दोनो तो एक जान का सौदा करूंगा ।।
जो साथ था मेरे वो हमराह लौटा दो ,
या तो खुदा मुझसे मेरी सांसे भी छीन लो।।
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