*जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब....**अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा !!* - Rupesh
*जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब....**अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा !!*
- Rupesh