यूंही दिल ना लगाना किसी से
बेगैरत से हो जाते है..
तन्हाई में बैठे अकेले
खुद ही खुद मैं खो जाते हैं।।
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दिल की बात पन्नों पे उतार देती हूं।।।
कहते हैं खामोशी बेवजह नहीं होती।।
कुछ अपनो के दर्द आवाज छीन लेते हैं।।-
कैसे सुलझाऊ इस उलझन को
जो मेरी गलती को गलत समझ बैठे हैं।।
कैसे बयां करूं इस दर्द को,
जो खुद से खुद को दिए गए है।।
ना जाने कब सुलझा पाऊंगी इसे
एक ऐसी उलझन लिए बैठे हैं।।
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जो तुम्हारे कल को जला कर ख़ाक कर दे
हंसती हुई जिंदगी को बर्बाद कर दे
तो बेहतर है अतीत को अतीत रहने दो
दफ़न है वो एक राज की तरह तो
यूं ना इस राज को तुम कुरेदो-
तो आसमा भी सूना सा लगता है
कैसे रहते होंगे वो तारे भी
ये सोच के दिल डरता है
फिर ना जाने कैसे पर
उस चांद में बस एक तेरा चेहरा झलकता है-
इश्क़ करो तो हर मर्ज की दवा है।
और कर के छोड़ दिया ..
तो बस दर्द ही बयां है।।
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मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने
जैसे कुछ जरुरी था..जो वो हमें बताना भूल गये .........-
मोहब्बत की भी अपनी एक अजीब सी जिद होती है
चुप कराने के लिए भी वही चाहिए जो रुला कर गया हो...-
कुछ लोग हमारे कभी नहीं होते,
बस वक़्त उन्हें कुछ पल के लिए…
हमारे पास ले आता है न जाने क्यों.....-