9 DEC 2017 AT 9:13

पतझड़ की ऋतु आने को है,
तुम भी चले आओ ना।
रोज़ तुम्हारी राह तकती हूँ,
उन राहों पर कदम रखो ना।
पेड़ों से पत्ते झड़ने लगे है,
मेरे सीने से लगकर आँसुओं को बह जाने दो ना।
नई कोपलों की तरह,
मुझे भी नया एहसास दो ना।
पतझड़ के इस मौसम में,
तुम भी मुझ में ही सिमट जाओ ना।

- Roohi "rOoH"