RohitRaj zade   (-Rohit Narendra zade)
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Joined 2 November 2019


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6 MAY 2022 AT 21:38

आखिर तो तुम मेरी नहीं रहीं...
मै तुम्हारा रहा, लेकिन मेरी ये
तन्हाई भी मेरी नहीं रहीं...

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6 MAY 2022 AT 21:33

बेरंग सी जिंदगी रंगीन हो रहीं हैं
पतझड का मौसम गया फ़िजा रंगीन हो रहीं हैं।

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15 MAR 2022 AT 17:58

जब हमे हमारे भविष्य की चिंता होती हैं।

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5 OCT 2021 AT 19:19

हर एक मुस्कुराहट बहुत महंगी लगती हैं
और हर दर्द अब सस्ता लगता है...
ज़माना सही कहता है...
जिन्दा होते हुए हर एक पल
महंगा लगता है....
और हाँ शायद सस्ते हो गए तो
लोग कदर नहीं करते
और जिनकी औक़ात नहीं होती
महंगा ख़रीदने की...
वह भी उस महंगी वस्तू की हैं
तमन्ना रखते....

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1 JUL 2021 AT 20:17

चमकती हुई चांदनी रातों मे
चांद भी तन्हा था...
चाँदनीया तो बहुत सी थी
उसके करीब....
लेकिन उस भीड़ मे भी वह
अकेला था...

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24 JUN 2021 AT 20:45

अभी रात है तो कल सबेरा भी होगा...
अभी जो हम से दूर जाकर बैठे हुए है
कल वह हमारे साथ मे भी होगा....!

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20 JUN 2021 AT 8:14

जिंदगी मे मिलने वाले हर विष
को हँसकर पी ले...
और हर दर्द मे जो मुस्करा
कर जी ले...
वहीं इंसान “पिता” है....

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19 JUN 2021 AT 22:05

दर्द का भी एक अपना ही
नशा होता है....
पुराने दर्द की दवा भी, एक
नया दर्द ही होता है...
दर्द मे रहकर दर्द को ही
हमसफर बना लिया
और पुराने दर्द को भूल कर
नए दर्द मे जिंदगी हर सफ़र
तय कर लिया..

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17 JUN 2021 AT 22:40

खुद को भी दाव पर लगा दिया
उनके मोहब्बत को पाने के लिए...
मोहब्बत तो ना मिली उनसे कभी
खुद को खुश पाने के लिए...

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17 JUN 2021 AT 22:29

उनसे मोहब्बत थी हमे, फिर भी उनसे
कुछ दूरी बना बैठे...
ओ धरती बनी रहीं और हम खुद को
अम्बर बना बैठे...
हम बरसात का इंतजार ही करते रहे,
और वह खुद को बेवफ़ा कर बैठे...

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