RohitRaj zade   (-Rohit Narendra zade)
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Joined 2 November 2019


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26 MAR AT 22:36

शब्द एक मात्र ऐसे हैं जो जिन्हें
लिखने पर वह मन के सारे भारी
पन को हल्का कर देते हैं ।

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26 MAR AT 22:33

कुछ मंजिलें पाने के लिए नहीं
खोने के लिए बनी होती हैं
जैसे कि किसी को किया गया
सच्चा प्यार।

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26 MAR AT 22:30

जिन्दगी आसान हो ही नहीं सकती
कभी होठों पर हँसी हो ही नहीं सकती
हसना तो चाहता है इंसान लेकिन हँसी कभी
साथ हो नहीं सकती।
जिन्दगी तन्हा सी हो गई है इसमें कभी
कोई साथी दार हो नहीं सकती।
कई आती हैं और कई जाती हैं लेकिन
जीवन में कोई हमेशा के लिए अपनी हो
नहीं सकती।
दुःख बताने का मन बहुत करता है किसी
को लेकिन वह कोई हमारे जीवन में हो ही नहीं सकती।
जिन्दगी के ऐसे मोड़ पर खड़ा हु रोने
का मन बहुत करता है लेकिन मेरे
आँखें आंसू बहा भी नहीं सकती।

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28 DEC 2024 AT 20:20

तस्वीर बदल जाती हैं इंसान वहीं रहता हैं
संस्कार और सोच बदल जाती हैं इंसान वहीं रहता हैं।

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28 DEC 2024 AT 20:17

सारी प्रेम कहानियाँ झूठी लगती हैं
जब उन्हें पढ़कर ,जब उन पर चिंतन
करता हूँ ।
महसूस तो करता हूँ ,उनके किरदारों को
लेकिन समझ नहीं पाता हूँ ।
प्रेम शब्द मेरे नजर में एक शुद्ध भाव हैं
लेकिन प्रेम कहानियाँ मुझे सारी झूठी
भावनाओं से ओत प्रोत लगती हैं ।
क्योंकि मेरे प्रकृति आज के प्रेमी किरदारों
झूठी और मतलबी बना दी है।
निस्वार्थ भाव का प्रेम आज की कहानियों में
कहीं दुर दूर तक नजर नहीं आता।
समझने की कोशिशें बहुतायत करता हूँ ,
लेकिन मेरे समझ नहीं आता।
प्रेम कहानी तो अपनी भी थी लेकिन उसमें
अकेला किरदार हैं जो कुछ कर ही नहीं पाता।

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25 NOV 2024 AT 20:23

प्रेम नहीं होता साहब हमेशा सिर्फ़ जरुरत होती हैं।

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2 SEP 2024 AT 20:31

आओ साथ में जिन्दगी के कुछ ख्वाबों को सजाते हैं
अभी तो राते काली हैं साथ में कुछ पल रंगीन बिताते हैं।

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2 SEP 2024 AT 20:26

तो जिंदगी का हर पड़ाव
पार कर जाऊ
मीट जाऊ लेकिन
अपनी मंजिल कैसे भूल जाऊ।

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2 SEP 2024 AT 20:25

किसी से कैसे कह दे
चुप चाप दिल अपना
अपने पास ही रखे
ये बहुत नाज़ुक हैं
किसी के भी हाथों कैसे सौप दे ।

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11 JUL 2024 AT 11:08

चाय सी सुबह होती तो कितना
अच्छा होता
कभी सारा दिन मीठा और अदरक
सा कड़क होता
पूरे दिन में थोड़ी इलायची और लौंग का
चस्का लगा होता
काश चाय सी सुबह होती तो कितना
अच्छा होता।

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