1 AUG 2019 AT 7:04

बीतता वक्त है, लेकिन !
खर्च हम हो जाते है !!
कैसे " नादान " है हम
दु:ख आता है तो " अटक " जाते है अौर सुख आता है तो " भटक " जाते है।

" सुप्रभात "

-