Rishab Bhatia  
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Joined 24 September 2017


Joined 24 September 2017
3 AUG 2022 AT 1:31

अन्दर भरी पड़ी वो सारी
जो बातें तुझे बतानी थी,
आकर सुनाने आजा फिर से
जो कहानी तूने सुनानी थी,
एक गोद का सिरहाना फिर देदे मुझे
थोड़ी नींद की झपकी लगानी थी,
आकर गले लगा ले ना
थोड़ी अश्रुधारा बहानी थी।

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22 AUG 2021 AT 11:24

ये चांद में कहीं
तुम तो नहीं
तुम में चाँद कहीं
गुम तो नहीं
एक आईना पड़ा है दिल के सामने
ज़रा गौर से तो देखूं
कहीं उसमें तुम तो नहीं

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17 AUG 2021 AT 20:28

ab thoda bhoolne se lage hai hum bhi tumko
ab khud ki kamiya bhi pasand aane lagi hai..

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17 MAR 2021 AT 9:00

ਮੈਂਨੂੰ ਆਮ ਜਿਹੇ ਨੂੰ ਖਾਸ ਹੋਣ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨਈ ਹੈ ...
ਤੇਰੀ ਜਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਅਪਣਾ ਨਾਮ ਦੇਣ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨਈ ਹੈ
ਤੂ ਖੋਹ ਲਈ ਹੈ ਉਹ ਰੂਹ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਜਿਊਂਦਾ ਸੀ
ਇਸ ਅਦਮੋਹੇ ਨੂੰ ਹੁਣ ਸਾਹ ਲੈਣ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨਈ ਹੈ

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15 MAR 2021 AT 23:29

ਕੋਈ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਵਸਦਾ ਹੈ
ਕੋਈ ਯਾਦਾਂ ਚ ਟਿਕਿਆ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
ਏਹ ਬਚਪਨ ਵੀ ਮਿੱਟੀ ਹੈ
ਹੱਥਾਂ ਚੋ ਤਿਲਕਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ

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23 MAY 2020 AT 21:34

मेरे कानों में गुनगुनाता है
सुनाता है तेरा नाम मेरे नाम के संग

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21 MAY 2020 AT 21:41

यूँ चुस्कियों में बैठी है सुकून छुपाये
कुछ एक जैसी ही तो है ये जिन्दगी और चाय।

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14 MAY 2020 AT 2:11

रुको... मैं चाय बनाता हूँ
फिर थोड़ी बातें करते है।

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31 MAR 2020 AT 11:37

इल्ज़ाम लाखों है इस शख्स पर उसके किरदार के लगे
कभी पाव के नीचे के छाले किसी को दिखे ही नहीं

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28 JAN 2020 AT 12:46

हजारों महफिलों में तेरी कहानी बतायी थी मैने
अब वो सरपरस्तों से तुझसे इश्क़ की बातें सुन रहा हूँ।

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