they could speak their struggle behind each trip and yet ready every morning to walk without hesity.
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मैं सरल नहीं
मैं शातिर नहीं
मैं माहिर नहीं
मैं ,तू और तू ,मैं ही हूँ
मैं ते... read more
मनीष ..निधि से :-
आप हो, मैं हूँ और मदहोश समा है
जो तू मुस्कुरादे जरा सा
जो यूँ लटों को लेहेरा दे जरा सा
जो तू प्यार से " बाबू " कहकर पुकार ले जरा सा
मुझे शरमा कर, नज़र झुका कर
वैसे ही देखे जैसे पहली बार नज़र मिली थी
तो सारे गम भूला दूँ जिन्दगी के
चैन आ जाये इस बैचैन दिल को
और वही पहली मिलन की रात जवां हो एक बार फिर
और में ये भूल जाऊँ की
ये हमारी शादी की 15वीं वर्षगाँठ है-
जो दर्द दे इस कदर
जिसके प्यार में दिल महफ़ूज़ नहीं
हर पल लगता है डर-
शोर करती हैं लहरें तुम्हें बुलाने को
कहतीं हैं सुनो अनकहे शब्दों को
तुम मेरी झाग में नमक ढूँढते हो
महसूस करो नीचे दबे ज़ख्मों को-
चाय वफ़ा करती है किसी सती की तरह
तुम्हारे हर एहसास को अपना बना लेती है
जो उसे थोड़ी सी मुहब्बत बख़्स दो
वो तुम्हें जन्नत का मज़ा देती है
चाय जवानी की मिसाल है ऐसी
हर रंग में एक नया आशिक़ बनाती है ।
#happy_चाय_दिवस ☕️-