गिदड़ो की बारात झोपड़ों में जा रहा है,
लगता है चुनाव नजदीक आ रहा हैं।-
जब ठान लिए मंजिल के लिए, तो जुगनूं की रोशनी ही काफी होगी अंधेरी रात में दौड़ने के लिए|
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मुश्किल है इंसान का असली चेहरे पहचनाने में,
राम नहीं अब कृष्ण चाहिए इस जमाने में ,
राम नाम का दुर्योधन बैठा है हर घर में,
रावण तो एक गलती के लिए जलता है हर साल,
यहां तो सत्य हर वक्त जल रहा है, हर पल
सत्य को मार कर मना रहे है दशहरा हर साल,
असत्य पर सत्य की विजय है केवल शब्द भर,
गंगा हुई मैली ,राम नाम को कर रहे है कलंकित,
सकुनीयों के साथ , राम राज्य होगा कैसे?
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खुद के लिए कब्र बनाए जा रहा हुँ,
खुद के लिए आग भी लगाए जा रहा हुँ
खुद को विनाश की ओर भी लिए रहा हुँ
क्योंकि मैं , अब छोटी - छोटी बातों पर गुस्सा किये जा रहा हुँ,-
कैसे लिखुँ दास्ताँ -ए - जिंदगी,
हाल -ए - दिल लिखते लिखते,
कभी शब्द कम पड़ जाते ,
तो कभी कागज..-
Dear God,
Is there any device where I can store my feelings, emotions and pain.
Please provide me.
I want to re-live and re-feel those pain in loop.
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There will be no problem.
Either with you or with in the world.
Read "Bhagawat Gita " if you are a Hindu.
And "Qur'an " if you are a Muslim.
Problems is in "not reading" and "not understanding ".
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"If any religion teaches violence,
preaches hatred and talks of revenge.
That's not the religion."
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कुछ ख्वाब रंगीन है मेरे ,
ये एहसास बाद में हुआ,
तनहाई की जरूरत और है मुझे।
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