क्या गलत ? क्या सही?
लड़की का अनजान से बात करना गलत है।
तो क्या अनजान के साथ विदा होना जाना सही है?
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जिन्दगीं को हमेशा हंसते हंसते हुए गुजारों क्योंकि हम नहीं
जानते कि यह कितनी बाकी है।-
औरत
स्त्री, नारी और औरत कहते हैं,
उस घर की तुमको रौनक कहते हैं।
बेटी,बहु,माँ,दादी,नानी के रूप में,
हम तुमको बिटियाँ दौलत कहते हैं।
दर्द लिए हज़ार तुम्हें कमज़ोर समझकर,
कुछ मर्द तुमको औसत कहते हैं ।
हम उस मर्द के मुहूँ पर बिटियाँ,
हम तुमको अपनी शोहरत कहते हैं।
ऐसे ही नहीं तुमको हम सब औरत कहते हैं।-
सारी बातों को भुला सकता हूँ,
लेकिन, रहने दो...
मैं भी तुझे छोड़ के जा सकता हूँ,
लेकिन, रहने द...
तू हर मोड़ पे कह देती है अलविदा मुझको,
फैसला मैं भी सुना सकता हूँ,
लेकिन, रहने दो...
तूने जो बाते कही है ना, दिल को दुखाने वाली,
सुन, मैं उन सब पे मुस्कुरा सकता हूँ,
लेकिन रहने दो...
और हाँ,
शर्म आ जायेगी तुझे खुद पर,
तेरे वादे मैं तुझे याद दिला सकता हूँ,
लेकिन, रहने दो...-
Story of a woman, a cheating husband, and hypocrite Indian society
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हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
लगी है महफ़िल पर तन्हा आदमी...
अपने सपनों का बोझ ढोता हुआ
है जाने किस खुमार में जीता आदमी
खुद ही खुद से रखता है राबता
देखो बना स्वार्थ की मूरत आदमी
अपने इर्द गिर्द बुने अपने जैसे लोग
हर पल धोखा खाए चालाक आदमी
पैसों का देखो खड़ा किया महल
फिर भी है क्यों बेकरार आदमी
अपने ही घमंड में है चूर इस कदर
कि आदमी को नही पहचानता आदमी
कमाना चाहता है दिन रात मर मर कर
क्यों चाहता है फिर इतवार आदमी
एक दूजे का दर्द तक ना समझे जो
जाने कैसे हुआ इतना बेकार आदमी
रुतबा कमाया पर तमीज़ ना सीखा
पढ लिख कर भी है गंवार आदमी-