मुहब्बत तब भी थी, अब भी है! मगर अब वो मौसम नहीं होते,मैं तुझसे हाले दिल कह दूँ,मगर क्या करें?कभी तुम नहीं होते,तो कभी हम नहीं होते! - #ranjansinghpoetry
मुहब्बत तब भी थी, अब भी है! मगर अब वो मौसम नहीं होते,मैं तुझसे हाले दिल कह दूँ,मगर क्या करें?कभी तुम नहीं होते,तो कभी हम नहीं होते!
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