रात भर सर्द हवा चलती रही
पलकों पर उनींदी मचलती रही
मैं लेटी रही तेरे ख़यालों में गुमसुम
जुदाई तेरी ताप बन मुझपे चढ़ती रही
लगी आँख तो खो गई तेरे ख्वाबे-वस्ल में
खुली आँख तो तेरे हिज्र में जलती रही
दिल के दरिया में मेरा नाव सा हिचकोले खाना
उस रकीब की याद में आंसू बन छलकती रही
वो हवा जिसके साथ बह जाने को जी चाहता था
आज वो हवा मुझ बूत की ज़ुल्फों से खेलती रही
बगावत पर था ज़हन और रूह ने टटोला इश्क को
मैं चादर की सिलवटों में तेरे अहसास को ढूंढती रही
#राखी
- #राखी