21 JUN 2017 AT 22:22

अक्सर मैंने ख्वाबों को हकीकत
में तब्दील होते देखा है
पर तुम वो हक़ीक़त हो जो ख्वाब बनकर
आंखों में चुभती है
इल्म नही था कि बेज़ारी का ये आलम
जीना दुश्वार कर देगा
वाकिफ़ हूँ रिश्तों के टूटने का दर्द
बेहद दर्दनाक होता है
पर जहां कोई रिश्ता ही न वो वहां भी टूटने का
अहसास क्यों बेचैन करता है
आखिर कब तक खामोशियों की ये बेड़ियाँ
जकड़े रहेंगी दामन
वास्ता नही है माज़ी से कोई पर क्यों
ये सदायें डराती हैं
नसीब को दोष देना आसान था पर पहलू में
बैठना गंवारा न था
सिसकियाँ जो दबा रखी थी आखिर कब तक
न आह बन के निकलती
कोई तो बहाना चाहिये था भरे दिल को
भी खाली होने का
बस फिर रो लिए कहीं तो सुकून सेे दो पल
नसीब में लिख डाले
रेत के महल बनाकर तहस नहस कर डाले आखिर
दीवानेपन का जावाल था ।
बसाये नही घर खानाबदोश जिंदगी में
सिर्फ तेरी खुशी का ख्याल था ।
#राखी

- #राखी