अतिशयोक्ति अलंकार
------------------------
प्यारी गोरी का सुनो, रूप करे उजियार ।
चन्दा के भी नूर की, झलक लगे बेकार ।।
काले कजरारे नयन, गोरे-गोरे गाल ।
कमर तलक लम्बी लटें, घुघराले है बाल ।।
नागिन जैसी कमर जब, सुनो हिलोरा खाय ।
दीवानों के दिलों पे, बिजली सी गिर जाय ।।
लब थिरके मद से भरे, मन्द- मन्द मुस्काय ।
इश्क-हुश्न के मिलन हित, आतुर पडें दिखाय ।।
रुनझुन पायल की बजे, कंगना खनके हाथ ।
भाग्य उदय सा निज लगे, जब प्रीतम हो साथ ।।
राकेश तिवारी, राही
-------------------------
28 APR 2019 AT 8:34