28 APR 2019 AT 8:34

अतिशयोक्ति अलंकार
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प्यारी गोरी का सुनो, रूप करे उजियार ।
चन्दा के भी नूर की, झलक लगे बेकार ।।

काले कजरारे नयन, गोरे-गोरे गाल ।
कमर तलक लम्बी लटें, घुघराले है बाल ।।

नागिन जैसी कमर जब, सुनो हिलोरा खाय ।
दीवानों के दिलों पे, बिजली सी गिर जाय ।।

लब थिरके मद से भरे, मन्द- मन्द मुस्काय ।
इश्क-हुश्न के मिलन हित, आतुर पडें दिखाय ।।

रुनझुन पायल की बजे, कंगना खनके हाथ ।
भाग्य उदय सा निज लगे, जब प्रीतम हो साथ ।।

राकेश तिवारी, राही
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