मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है …
बंजर माटी में पलकर भी, मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ,
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ,
शीशे से कब तक तोड़ोगे..............
मिटने वाला मैं नाम नहीं,
तुम मुझको कब तक रोकोगे,
तुम मुझको कब तक रोकोगे…..............।।
- @RakeshPandeyIND
25 JUL 2019 AT 9:35