Rahul Gaur   (Rahul Gaur)
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पूछते हैं क्या हो पता होता तो बता नहीं देते
Joined 12 December 2017


पूछते हैं क्या हो पता होता तो बता नहीं देते
Joined 12 December 2017
17 APR 2022 AT 11:23

निराशा के बादल हटने के बाद
उम्मीद की धूप दिखाई देती हैं

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7 APR 2022 AT 0:02

मैं शून्य हूँ, शिखर भी हूँ
मैं आरंभ हूँ, मैं अंत भी हूँ
मैं शिव हूं, मैं शक्ति भी हूँ
मैं भक्त हूँ , मैं भक्ति भी हूं
मैं हिम हूँ, मैं हिमालय हूँ
मैं शव हूँ, मैं शिवाय भी हूँ

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11 OCT 2021 AT 22:03

जिंदगी तू दबे पाँव आना
हौले से मुस्कुराना
चुपके से गले लग जाना

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16 SEP 2021 AT 0:26

एक था बचपन
माँ की लोरी थी
पिता की गोदी थी
एक था बचपन
नानी का दुलार था
दादी की पुचकार थी
एक था बचपन
होली के रंग थे
अपने सब संग थे
एक था बचपन
समय बहुत सस्ता था
यारों संग कटता रास्ता था
एक था बचपन, एक था बचपन
साइकिल का पहिया था
घर के पास बहता दरिया था

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31 AUG 2021 AT 0:40

यह सड़क गाँव से शहर तो बहुत बार जाती है
पर
शहर से गाँव कभी कभी ही आती हैं।

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23 AUG 2021 AT 23:49

सुनो घर के आँगन मे जो पुराना पेड़ हैं ना उसे काट मत देना !
उस पर अब फल ना उगते हो पर वह छाया अब भी देता हैं।

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16 AUG 2021 AT 20:02

Leadership is all about leading from front

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10 APR 2021 AT 23:06

चलो लौट चले गांव की और
चुभने लगा है मुझे शहरौ का शौर

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28 MAY 2019 AT 22:00

कैसा गुजरा है आज दिन
चुपचाप गुमसुम सा
जैसे नाराज हो तुम्हारी तरह
ना हूँ , ना हाँ
ना आहात ना शिकायत
बस सांस लेता मेरे साथ
जैसे दूर कही तुम भी लेती हो
बेपरवाह सा गुजर गया
बस साये से छोड़कर पीछे
कुछ तुम सा ही लगने लगा है दिन
मुझसे दूर नहीं जाता
और मेरा भी नहीं होता.

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17 FEB 2019 AT 18:40

आज फिर से शहर में तिरंगा लहराया है।
लगता है सीमा से किसी शहीद का शव आया है।

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