मेरी मिली दी आज पूरे चार साल की हुई है हां अभी अभी बोलना सीखा है लेकिन बातें देखो कितनी बड़ी बड़ी करती है और कुछ पसंद नही आया तो रूठ भी जाति है वाय क्यू दीदी की तो इन्होंने नाक में दम करके रखा है, रोज ऐसे ऐसे सवाल करती है के वो पढ़कर बिना लाइक कॉमेंट किए ही भाग जाती है।
कभी कभी ऐसा लगता है तुम्हे भुलाने के लिए हमारी सारी यादें पन्नों पर उतार दूं, पर फिर लगता है ऐसा करूंगी तो तुम मुझे ज्यादा याद आओगे और मुझे तुम से फिर से प्यार हो जाएगा
मेरी कोई मंजिल नहीं है ना मैं किसी रास्ते पर चल पड़ी हूं ना पैसे कमाने का जुनून है ना दुनियां भर में नाम होने की चाहत है कुछ भी नहीं है मुझ में खाली हूं, या कहो इन सब से मुक्त हूं
आज का दिन मेरे लिए बहुत खास है इसी दिन भगवान ने आबाद भी किया और इसी दिन भगवान ने बरबाद भी किया दोनो वक्त में बस कुछ सालों का अंतर है कुछ यूं समझलो पहले अमृत दिया और फिर जीते जी मरने के लिए जहर दे दिया