༺❥︎—«✪POET OF RANCHI⍟»—❥༻   (✌︎❥︎❥︎❥रांची का शायर..✍︎)
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Joined 10 October 2020


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Joined 10 October 2020

कैसे बताऊं की मेरी आवाज,
किसी महफिल-ए-शोर में डूब गई..
फिर भी गर तेरा लौटना मेरे नसीब में हुआ
तो मेरी खामोशी तुम्हे बहुत दूर तक सुनाई देगी....✍️

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मोहतरमा, जब इंसान की तरह
बोल ना पाए तो जानवरों के तरह
मौन रहना अच्छा है,
क्योंकि जब ये जुबान चलता है,
तो दुनिया बदतमीज की तरजीह देती है....✍️

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घुलन-ए-इत्र की हवा दिल में,
मेरे आज भी बह रहा है !!
कारवां-ए-इश्क की महक, मोहतरमा
उस दिन से आज भी महक रहा है !!

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दिल पर उठी कसक को बेशक,
जल्दी कह दो, तर जाओगी !!
यूं छुपी अफसाने की गठरी फिर से,
बंधने मत देना, वरना मर जाओगी !!

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सारे जहां में बस मां-बाप ही है,
जो जज्बात की समझ
अपने आंखों में लिए रहते है !!
अपने दर्द हर किसी को बयां मत करना,
यहां हर शख्स सांत्वना के जगह,
हंसी अपने सलाखों में लिए रहते है......✍️

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ना भरोसा किसी अपनों पर करना,
ना भरोसा करना किसी गैरों पर !!
हर नाराजगी दूर हो जायेगी मोहतरमा,
जब खड़ी हो जाओगी अपने पैरों पर !!

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बे-सबब आसुओं का दर्द जनहित में जारी नहीं है !!
रुलाया तो उसने है, मुझे रोने की बीमारी नहीं है !!

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पहले के लोग:-
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ पंडित भया ना कोय।
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े, पंडित वही तो होय ।।


अब के लोग:-
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ पंडित भया ना कोय !
बारह महीना जो ट्यूशन पढ़े, पास वही तो होय !!

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मिलन अधूरी की तमन्ना लिए
आजीवन ये मलाल रहेगा !!
तेरे दीदार के चाहत में मोहतरमा,
धंसा मेरा दाहिना गाल रहेगा !!

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