R S   (साधक (Seeker))
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Thinker..
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।
Joined 2 March 2017


Thinker..
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।
Joined 2 March 2017
20 APR AT 15:51

मुझे आजकल लोगो से मिलने में परेशानी नहीं होती,
नहीं मिलता तो शायद कहानी नहीं होती,
एक से एक उम्दा किस्से हुए हैं
जो ना हो सके किसी के, वो मेरे हिस्से हुए है
ना मिलते तो वक्त की कीमत हमने पहचानी नहीं होती,
गु़म रहता ये लड़कपन और ये जवानी नहीं होती ।

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20 APR AT 15:42

वो जो चाँद कहा करता था उसे चाँद में दाग़ नज़र आने लगा है,
रहा नहीं जाता था दूर जिसे वो अब दूर दूर से मुस्कुराने लगा है,
हमारी आंखें थी आसरा जिसका वो अब आंसू छलकाने लगा है,
हर अदा में जो एक नज़्म लिख दिया करता था वो आइना दिखाने लगा है,
ये प्यार है या दूरी जो बेचैन करने लगी है
टूट कर गले लगना चाहता है दिल उनकी बाहों में बिखरना चाहता है दिल
पर ये ज़माना है कि दुरियां बढ़ाने लगा है ।

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13 APR AT 13:50

मुझे यकीन आ जाता है कि बेवफा है वो,
इस हुस्न पे तो हर कोई दीवाना बनता है
बात हम नहीं करे तो मुँह फेर लेते हैं वो,
नेमत मिली है तो इस सूरत पे इतराना बनता है
कुछ गिला उनका था कुछ मैंने शिकायत की,
दो कदम हम हि चल देते, कुछ बढ़ाते वो,
इस गफ़लत में ही रह गये,
अब तमाशबीन तो ज़माना बनता है ।

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13 APR AT 2:45

ऐसे कैसे दफ़न कर दें,
कोई बेवफाई भी नहीं हुई..
जिंदा तो वो भी है जो कहते थे तुम्हारे बिना जी नहीं पाएंगे।

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13 APR AT 2:39

तुम पन्नों को किताब कहो मान लेंगे,
चार दिवारी को मकान कहो मान लेंगे,
आसमां में देखा तुम नज़र आये
तुमने कहा चाँद है, ठीक है, मान लेंगे ।

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13 APR AT 2:36

अभी से रुसवाई की बात करते हो
पहले मोहब्बत तो बेहिसाब हो लेने दो,
तुम ठीक करने में लगे हो
ढंग से पहले ख़राब तो हो लेने दो,
इतराते चलते हो क्यूंकी चाँद हो हमारा
ये रात ये सितारे ये हवा ये पेड़,
इनसे अलग ज़माने में, हमें आफताब तो हो लेने दो ।
यूँ ही नहीं माँगा था तुम्हें रब से,
और बैठे थे इंतज़ार में न जाने कब से,
अब आये हो तो ज़रा ठहर के जाना
ग़म-ए-हिज्र के पहले पूरा ये ख्वाब तो हो लेने दो ।
हमसे पहले भी औरों की ख़ूब नुमाइश की तुमने,
हर एक को परखा था हर एक को जांचा था तुमने,
अब जो मोड़ से आये हो हमारे पास
उसका अंजाम तो हो लेने दो,
ता-उम्र जो पूछे थे गैरों से, उस सवाल का जवाब तो हो लेने दो ।
तुम ठीक करने में लगे हो
ढंग से पहले ख़राब तो हो लेने दो ।

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16 MAR AT 14:04

किसी के आने से किसी के जाने से
किसी के रूठ जाने से किसी के मनाने से
तेरी याद में फ़र्क थोड़ी आएगा,
किसी की बात में, किसी की याद में
किसी के इंतज़ार में किसी मुलाक़ात में
तेरी याद में फ़र्क थोड़ी आएगा,
कोई जगह है जहां साथ नहीं रहते
कोई ठिकाना है जहां पास नहीं रहते
रहेंगे किसी मंजिल पर, किसी रस्ते पर
किसी दुनिया के ठंडे बस्ते पर
तेरी याद में फ़र्क थोड़ी आएगा,
रकीब और भी है दुनिया में
फ़कीर और भी है महफ़िल में
कोई यकीन में कोई रकीब में
कोई उलझन हो या किसी तरक़ीब में
तेरी याद में फ़र्क थोड़ी आएगा ।

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15 MAR AT 12:53

इश्क़ के सफ़र में थे, कहीं दूर रस्ते खो गये,
वो तो दुल्हन बनी.. हम शायर हो गये ।

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3 FEB AT 14:39

कौन बताए कि जलन नहीं होती,
कल देखा था खुद को हि आईने में उसके साथ, दांत पिसते रह गये थे ।

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14 JAN AT 13:27

कुछ बातें है जो सुनानी है
किस्से नहीं सब कहानी है,
मेरे दोस्त बस साथ देना
तेरे साथ ही तो निभानी है,
रहना है तुझे यहीं साथ मेरे
ये जान कहीं और ना जानी है,
ऐतबार न करना किसी फरेब पे
जल खुद जाने है जिसे अगन लगानी है,
और दोस्त.. याद रखेगी ये दुनिया हमें ही देखकर,
किससे और कैसी यारी निभानी है ।

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