अभी से रुसवाई की बात करते हो
पहले मोहब्बत तो बेहिसाब हो लेने दो,
तुम ठीक करने में लगे हो
ढंग से पहले ख़राब तो हो लेने दो,
इतराते चलते हो क्यूंकी चाँद हो हमारा
ये रात ये सितारे ये हवा ये पेड़,
इनसे अलग ज़माने में, हमें आफताब तो हो लेने दो ।
यूँ ही नहीं माँगा था तुम्हें रब से,
और बैठे थे इंतज़ार में न जाने कब से,
अब आये हो तो ज़रा ठहर के जाना
ग़म-ए-हिज्र के पहले पूरा ये ख्वाब तो हो लेने दो ।
हमसे पहले भी औरों की ख़ूब नुमाइश की तुमने,
हर एक को परखा था हर एक को जांचा था तुमने,
अब जो मोड़ से आये हो हमारे पास
उसका अंजाम तो हो लेने दो,
ता-उम्र जो पूछे थे गैरों से, उस सवाल का जवाब तो हो लेने दो ।
तुम ठीक करने में लगे हो
ढंग से पहले ख़राब तो हो लेने दो ।
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