Pt Shwetank Sharma   (Pt shwetank)
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Joined 25 June 2017


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Joined 25 June 2017
25 OCT 2023 AT 4:20

जिन्दगी के कर्ज के खातिर बेच दिए सारे सपने
बस एक ख्वाइश तकिए के नीचे बचा के रखी है।

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24 JUN 2022 AT 1:22

बहुत गुमान था शहर को अपनी ऊंची - ऊंची इमारतों पर
गर्मी आते ही एक पेड़ ने शहर को अपनी औकात दिखा दी ।

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15 AUG 2017 AT 0:37

तू हिन्दू बन तू मुसलमान बन , मैं इंसान बनने जाता हूँ
तू स्वर्ग जा तू जन्नत जा , मैं भारत माँ की लाज बचाने जाता हूँ ।

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26 AUG 2021 AT 1:34

बहुत बड़े सपने नहीं इस ज़माने में
बस एक छोटी ख्वाइश चाहता हूं मैं
देख कर तेरी आँखें बस पल भर को
वक्त को वहीं रोक देना चाहता हूं मैं ।

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20 APR 2021 AT 0:36

इश्क ने दी दस्तक सुकून के घर
और फिर दोनो कहीं दूर चले गए ।

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14 APR 2021 AT 0:38

जिन्दगी गन्ना है और दुनिया गन्ने के रस की मशीन
जब तक सूख के बिखर नहीं जाओगे तब तक निचोड़ेगी ।

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2 FEB 2021 AT 23:44

सुनो ! मेरे शहर की गली का एक मशहूर किस्सा
मगर वो किस्से का किरदार अब कहानी हो गया ।

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1 FEB 2021 AT 16:32

बहुत दूर धूप में चल कर झरने से प्यास भुझी हो जैसे
जब लेती है वो मेरा नाम ना पूछो मुझको लगता है कैसे।

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25 JAN 2021 AT 2:29

ज़िन्दगी के सफरनामे की दास्तां कुछ इस कदर है
कदमों में मंजिल है इंसान फिर भी सफर में है ।

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10 DEC 2020 AT 4:49

ज़िन्दगी तो करती है खुद को तुमसे दूर
मौत ही हर किसी की सच्ची माशूक है ।

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