उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।। - प्रवीर रंजन पराशर
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।।
- प्रवीर रंजन पराशर